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Sunday, January 12, 2014

12-01-2014


  • ये अश्रलेश भाई हैं इनके नाम में 'दशोरा' शब्द भी शामिल हैं लेकिन मुझे उसे लगाने या नहीं लगाने से कोई फ़र्क नहीं जान पड़ता है.हमारी मुलाक़ात साल दो हजार के आसपास हुयी थी,जब मैं जाया नवेला एसटीसी डिप्लोमाधारी युवा अध्यापक था और ये महोदय बीएडधारी विज्ञानछाप प्राध्यापक.नौकरी चित्तौड़गढ़ के विद्या विहार स्कूल की थी.स्कूल के रजत जयंती वर्ष के लिए हमने मिलकर बहुत धूम-धड़ाके के साथ नाटक-शाटक,गीत-संगीत में बहुत उल्लारे खाए.बाद में जाना कि वे कॉलेज के ज़माने के रंगकर्मी हैं.फिर वे उदयपुर केन्द्रीय विद्यालय और सेन्ट्रल अकादमी में नौकरी पा गए हम इधर कुछ साल ओर घसीटाते रहे बाद में जितना बचे पैराटीचरी ने पूरा कर दिया.हम बहुत सालों तक नहीं मिल पाए.अचानक खबर मिली कि अश्रलेश बाबू (जिनके नाम में 'श्र' की मात्रा कैसे और कितनी लगेगी आजतक कोई नहीं जान पाया )चित्तौड़ में ही सेन्ट्रल अकादमी स्कूल में प्राचार्य बन चित्तौड़ ही आ गए हैं.स्कूल के लगभग सामने उनका घर है.घर का नाम भी उनकी तरह ही 'यूनिक' ही है. बीते पाँच सालों में हम जेसीस,स्पिक मैके,अपनी माटी के आयोजनों में फिर से नजदीक आते रहे.इस बीच कई जीमणों में भी मेल-मुलाक़ात होती रही. असल बात ये कि आज उन्हें चित्तौड़ जेसीस इकाई का अध्यक्ष मनोनित किया गया है उन्हें बधाई.बस अतीतमोह हो आया तो इतना लिख दिया .हम जब भी मिलते या बतियाते हैं तो खूब हँसी-ठठ्ठा करते हैं(ये भी भूल जाते हैं कि हँसी के ठठ्ठे में 'ट' की मात्रा आयेगी या फिर 'ठ' की )
  • चारुल जी और विनय जी हैं,गुजरात में रहते हैं, 'लोकनाद' के नाम से एक मुहीम चलाते हैं,'लोक' नहीं बल्की 'जनगीतों' की गायन परम्परा को आगे बढ़ा रहे है.गायन गुजरात सहित देशभर में कर चुके हैं .इनका काम वैचारिक प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ता हुआ दिखाता है, यह जानकारी मेरे अनुभव से नहीं हमारे गंभीरमना साथी राजेश चौधरी जी से मिली है. 'लोकनाद' के ज़रिये ये साथी सालना कैलेंडर प्रकाशित करते हैं जिसकी सामग्री देखकर ही लग जाता है कि यह कई मायनों में उनके गहरे शोध का परिचायक होता है. सहयोग राशि के नाम पर मंगाए दस कैलेंडर में से एक हमें उपहार मिला है,कभी हो सका तो हम चारुल जी और विनय बाबू को चित्तौड़गढ़ में जनगीत प्रस्तुति हेतु आमंत्रित करेंगे.
  • 'पाला बदलते लोगों को पहचानना थोड़ा मुश्किल काम ज़रूर है असंभव नहीं'
  • 'विशिष्ट अतिथि,मुख्य अतिथि,अतिरिक्त अतिथि,कार्यक्रम अध्यक्ष, संयोजक, फंयोजक,आदरणीय, फादरणीय आदि बनने के लिए संपर्क करिएगा(साइड जॉब)
  • 'साहित्यिक आयोजन के आमंत्रण और शादी-ब्याव की कंकूपत्री सेट करने में फर्क है भाई'
  • लोक गायक प्रहलाद सिंह तिपानिया जी का मैं भी फेन हूँ
  • राजनैतिक दलों में सुधारों की इस मानसिकता पर मन खुश है,यह मन जनता का सामूहिक मन है
  • चिट्ठियां आती जाती हुयी ही अच्छी लगती हैं
  • दाढ़ी अपने आकार में आ चुकी है जल्दी ही प्रोफाइल फोटो बदलूंगा (कभी-कभी विचारहीनता की स्थिति में ऐसे ही स्टेट्स उपजते हैं )
  • नए साल में अपनी कविताएं विभिन्न स्तरीय साहित्यिक पत्रिकाओं में छपने भेजने का निश्चय किया है. यह निश्चय कविताओं और संपादकों की कसौटी साबित होगा.
 
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