- भुवाजी के यहाँ मायरा ले जाने,बेटे का मुण्डन करवाने,किराणे की दूकान चलाने,किसी अखबार के लिए संवाददातागिरी करने,बहनोई जी का मोसर करवाने,भाणेज की बरात में जाने,बहिन की गोरणी निबटाने,पत्रकरिता करने,पुस्तक समीक्षा लिखने,टीप-टुप कर आलेख लिखने,किराए का मकान शिफ्ट करने,तथ्यों के एकत्रीकरण को आलेख समझने की गलतफहमी में जीने,तारीफों के पूल बाँधने,चापलूसी में कलम घिसाई करने और ब्लैकमेलिंग करने में फर्क है.इन सभी में घालमेल करने वाले बहुत दूर तक नहीं जा सकते हैं.
- नए फ़ोटो खिंचवाए जाने तक पुराणों का आनंद।छः महीने पहले की कोलकाता यात्रा में खोते हुए रविन्द्र संगीत सुन रहा हूँ ( सनद रहे प्रादेशिक संगीत को जाने बगैर भी उसमें से आनंद लेने की गुंजाईश हमेशा रहती है गोया मुझे बंगाली नहीं आती )
- 'क्या पीएचडी पूरी कर लेना किसी बड़ी मुसीबत से निजात पाना है? क्या बधाई देने के लिहाज में पीएचडी का विषय और शोध निदेशक का व्यक्तितव भी कहीं मायने रखता है?'(किसी अपने को बधाई देने और नहीं देने के निर्णय के बीच संकोच)
- जिस तरह से सर्दी के साथ दाढ़ी बढ़ रही है.उसी रफ़्तार से कोहरे के साथ उड़द वाले मोगर की खुराक।
Tuesday, December 24, 2013
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