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Sunday, November 18, 2012

17-11-2012

चित्तौड़ किले पर एक बर्थ डे पार्टी के आनंद के बाद भाई राजेन्द्र सिंघवी जी से अपनी हिन्दी की स्नातकोत्तर की पढाई के सन्दर्भ में बहुत सी गालियाँ खाकर लौटा अब पढ़ना ही पड़ेगा और कुछ इलाज नहीं।लगे हाथ पत्नी ने भी छिलने में मौक़ा नहीं छोड़ा था।राजेन्द्र बाबू ने निराला जी की दिलेरी के कई अनुभव सुनाये।
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हमारे आँगन के हिस्से में तो दिवाली का सरकारी विद्यालयी अवकाश अभी जारी है उसी के प्रभाव से अतीत की तरह लगने वाले शहर निम्बाहेडा जाना था। कुछ गृहस्थी जीवन के दो चार काम निबटाने के साथ अपने अभिन्न मित्र जितेन्द्र सुथार के यहाँ जाना हुआ।कुछ अनौपचारिक बातों के साथ दोपहर तीन बजाये ।शाम चार बजे हमारे चित्तौड़ में स्पिक मैके परिवार के पुराने भाईचारे में पनपे साथियों के साथ किले पर लघु टी-पार्टी का आनंद लेने के लिए एक बुलावा पहले से पडा था ।मतलब फुरसत भी अपनी ख़त्म होने प्रक्रिया में खुद मुस्कुराई थी।
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छोटे भाई नितिन सुराना के साथ दो घंटे किले पर गुज़ारे। बहुत से छायाचित्र भी क्लिक किये। कल साझा करेंगे। कई बातें हुयी। मन की भड़ास भी निकाली। गीत भी सुने। घर-गृहस्थी की बातें भी आयी। कामकाज के अनुभव। और भी बहुत कुछ। जो यारी में कहना सुनना संभव हो सकता है। एकदम खुलेपन के साथ। रात सात के बाद पहले भाई भगवती लाल सालवी के घर दिवाली की मिठाई के बजाय हमने अपने उब चुके मन को बहलाने के हित वहाँ ढोकले खाए। फिर सत्यनारायण व्यास जी के घर।बहुत दिनों बाद उनसे मुलाक़ात हुयी।रेनू दीदी आयी हुयी थी।उन्होंने बातों में बहुत से वक्तव्य दिए।एक याद रहा 

''दीपावली एक राष्ट्रीय धोका है जहां सिर्फ मिठाई बनती हैं और लोग खाते समय इस बात भान तक नहीं रखते की इसी देश में करोड़ों लोग भूखे मर रहे हैं। मैं अनाज के गोदामों पर ताले लगाने वालों को दोषी मानता हूँ और ताले तोड़ कर अनाज खाने वाले भूखे लोगों के कृत्य को गैर कानूनी नहीं।शर्म आती हैं जहां सबकुछ व्यावसायिक वृति से डील किया जाता है।''-डॉ सत्यनारायण व्यास,चित्तौडगढ
 
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