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Saturday, March 29, 2014

29-03-2014

बेटी के स्कूली छुट्टियां चल रही हैं.श्रीमती अपनी पढ़ाई में व्यस्त है.मैं किसी आगामी परीक्षा से खुद को चिंतित दिखाने में लगा हूँ.जून की सालाना छुट्टियों में चेन्नई जाने,नहीं जाने और फिर जाने के फैसले के बीच का अटकाव चल रहा है.सर्दी लगभग गायब अब जीवन और मौसम धूप की गिरफ्त में आने लगा है शायद.माँ-पिताजी ठीक है.पिताजी को कमरा दर्द रहता है माँ को बीपी की गोले के साथ बी-कोम्प्लेक्स टाइप के ताकत के केप्सूल शुरू किए हैं.बहन के मकान बन रहा है.मौसी के पोतों के जडूलिये हैं.रिश्तेदारी में नहीं जाना खतरे से खाली नहीं होता.खुद की नौकरी और मार्च एंड के समीकरण.अप्रैल एक से अपनी माटी और स्पिक मैके का नया वित्तीय सत्र और योजनाएं.गिरस्ती में आनंद है.अचार ख़त्म हो गया है.साल के हिसाब से गेहूँ डलवाने हैं.तीन पहले आखे उड़द लिए थे दाल बनानी अभी तक बाक़ी चल रही है.थोड़ी व्यस्तता को ज्यादा दिखाना कोई मुझसे सीखे तो मुफ्त मैं सिखा दूंगा.इसी टाइप के एकाध और क्रेस कोर्स करवा सकता हूँ.

कनक भैया से आज ही मिल आया. राजेश चौधरी जी कल ही आकर गए.राजेन्द्र जी से मिलना अधूरा चल रहा है.लक्ष्मण जी व्यास तीनेक दिन पहले घर आये थे.इसी सप्ताह मैं सत्यनारायण जी व्यास के घर हो आया.चेतन खिमेसरा जी रास्ते में मिल गए.भगवती सालवी और रजनीश,जीतेन्द्र और प्रवीण लगभग फुनिया लेते हैं.हाँ प्रकाश खत्री जी से मिले लगा वक़्त हो गया है.सातम पर राजू,रमेश,गोवेर्धन सरीखे पक्के वाले मगर इस दौड़ में छूट गए दोस्तों से मिला.हंसराज,लालू,भोपराज,परमेश्वर,प्रवीण चौधरी से मिले वक़्त हो गया.सातम का ओल्या सातम को ही ख़त्म हो चुका था.फ्रीज़ होता तो पाँच सात दिन चलता.बिना फ्रीज़ ओल्या खट्टा जाता है.हाँ भला हो मुहाली की औरतों का जिनकी बदौलत एक स्नेह मिलन हो सका.रंगतेरस की गोट मुहल्ले में अपनापन दे गयी.गोट के बचे हुए चुरमें के लड्डू भी बंट गए.

सब काम से निजात.लगे हाथ डॉ भीमराव अम्बेडकर पर रेणु दीदी की वार्ता भी रिकोर्ड कर ली.विचार और राय के स्तर पर खुद को दुरस्त करने के ऐसे मौके मैं छोड़ नहीं पाता.आज ही कनक भैया से दो चाय के ऑर्डर मारने,चाय बनने,आने और सुड़कने के बीच ही हमने चर्चाओं में कई बाबाओं की बारह बजा दी.कई नेतृत्वकर्ताओं की हवा निकाली.बातों में कई पोलें खोली कई किस्से सुनाये और कई हुंकारे भरे.वक़्त के साथ ऊंचे भाव वाले निजी स्कूलों के गणित पर कई पैरेग्राफ खींचे.शहर के नामचीन मगर गालघुसेड़ू बंधों के चित्र उकेरे.लम्बे समय बाद की मुलाक़ात का अपना चस्का है.कनक भैया के पास अनुभव है और मेरे पास सुनने का सलीका.मौके-मौके की बात है.किसी के पास जाने को दिल करता है और किसी को देखने से ही रास्ता बदलना पड़ता है.कोई सप्ताहभर ना मिले तो घंटियाँ घनघनाने लग जाती है.

आयकर के संभावित आंकड़े के हिसाब से पीपीएफ खाते में हजार रूपए डाल कर खाते को ज़िंदा रखना तय किया.प्लाट की आख़री क़िस्त बाक़ी है.होली पर सिलाए नए कपड़े आजकल चेहरे का नूर थामे हुए हैं.विकास अग्रवाल भाई का गिफ्टेड कुर्ता बड़ा फब रहा है.हमारे मित्र प्रयास वाले डॉ नरेन्द्र गुप्ता ने आम आदमी पार्टी से लोकसभा का पर्चा भरा है.इधर चुनाव ड्यूटी आ गयी है.उधर स्कूली परीक्षाओं के बादल सिर पर हैं.अप्रैल में दो बड़े कलाकारों के आयोजनों में बेकग्राउंड सपोर्ट करना है.इसी मशक्कत में एकाध कविता लिखी गयी है.कविता उपजना फसल लहलहाने से कम नहीं होता.खुशी ये भी कि आकाशवाणी जयपुर के लिए कुछ कविताओं का चयन भी हुआ.एक पत्रिका में दो कवितायेँ छपी एक में छपने की हामी सुनी है.पढ़ना जारी,लिखना मंथर.सुनना एकदम सही चल रहा है.नाक-कान-गला अभी ठीक है.बुखार आया नहीं.टहलना शुरू.खाना कम.टीवी बहुत कम,अखबार ज़रूरत के मुताबिक़.संगीत छूटा हुआ.शहर के मित्रों के बीच कुछ बेहतरीन आयोजनों की योजनाएं मन मन है.देखो कब पूरती है.
 
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