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Monday, December 23, 2013

23-12-2013


  • कुछ चंट खोपड़ियों को अलग रख दें तो हरेक आदमी मुझे सीधा और सरल ही क्यों लगता है.खोट मेरे विचारने के सीधेपन में हैं या जगत अब एक सीध में चलने लगा है या कि फिर इसमें किसी विदेशी चाल के संकेत हैं(आतमज्ञान की प्रक्रिया के बीच एक कन्फ्यूजन )
  • बकौल प्रकाश खत्री जी सूखी घास का अपना दुःख है,मरियल कुतिया की अपनी पीड़ा है,आदमी की अपनी व्यस्तता है ,जंगल का अभी अपना सौंदर्य है जो बहुतों बार आपकी नज़र पर डिपेंड करता है.एक पुस्तक पढ़ना और हमारे आकाशवाणी चित्तौड़ के उदघोषक प्रकाश खत्री जी के साथ डेढ़ घंटे की गप्प बरोबर मायने रखती है ('आदमी ने आदमी के पास निस्वार्थ बैठना छोड़ना दिया है'-आतमज्ञान )
  • एमए की परीक्षा का आज पहला है,दाढ़ी नहीं बनाए दूसरा और नहाने का तीसरा है,बाकी क्या कहें चित्तौड़ में कोहरे का आज 'चौथा' है.
  • मेरे कवि और वरिष्ठ साथी अशोक कुमार पाण्डेय का नया कविता संकलन ' दख़ल प्रकाशन' से आने वाला है (मित्रों की खुशियां साझा करने से भी आत्मिक आनंद मिलता है-आतमज्ञान )
  • आकाशवाणी चित्तौड़गढ़ का स्थापना दिवस है इस संस्थान से जुड़े सभी मित्रों को बधाई (सनद रहे 'पाठशाला' की कोई एक शक्ल नहीं होती )
  • आदत खराब हो गयी है जो भी बयान निकलता है उसमें यथार्थबोध के साथ हमारे आसपास में बने शोषित/पीड़ित/दबे-कुचले/वंचित के बिम्ब अपना असर डालते ही हैं और मैं अप्रभावित होना भी नहीं चाहता हूँ.
  • मुआफ करना ,राजस्थान में रहता हूँ और  फुटकर रचनाओं को एक तरफ कर दें तो अभी तलक किसी तरह राजस्थानी भाषा में लिखी और छपी एक भी पुस्तक को मैंने नहीं पढ़ा.(कभी कभी जुर्म कबूलना चाहिए )
 
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