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Sunday, February 12, 2012

12-01-2012


रविवार का आलम,देर तक सोना,इंटरनेट पर सुबह के चार घंटे,वो भी बिजली के बीना कट-आउट के.कुल जमा यादगार बन पडी सुबह.दिन में किले पे गया तो सुबह का आनंद छू-मंतर हो गया.दोपहर की धुप याद रही,हाथ में खाली कोपी में पेंसल से मांडी कविता याद रही.दो चार लम्बे फोन याद रहे.शाम के साढ़े चार बजे तय समय पर अग्रज साथी हिन्दी के जानकार डॉ. राजेन्द्र सिंघवी घर आए.उनकी समय की प्रतिबद्दता से मैं बड़ा प्रेरित हुआ.आपसी आधे घंटे की चर्चा के बाद डॉ. कनक जैन यानी हमारे दूजे जानकार साथी.इस तरह ये दोनों आगंतुक हिन्दी के डॉ. किए हुए. और मैं वर्दमान महावीर विश्वविद्यालय,कोटा में हाल का एम्.. हिन्दी में प्रवेशित छात्र.

बैठक का मज़मा सात बजे तक जारी रहा.अपनी माटी वेब पत्रिका,उसके ले-आउट,सामग्री के साथ ही वेब प्रकाशन के मायने जैसे विषय हमारे लपेटे में आए.इस बीच अपने दौर के काम याद करते हुए कनक भैया ने कठीन समय को याद किया. राजेन्द्र जी के साथ चल पड़ी विचारधारा की बात पर हम तीनों उलझते-सुलझते हुए नगर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक की सभी बहसों को छू आए.नास्ता एक तरफ रह गया.चाय भी ठंडी होते होते बची.बातें कहाँ थमने वाली थी.मानों बरसों के भूखे खाने पर टूट पड़े हों.ये संगत जैसा माहौल था.मैं अनुभवी साथियों को बस सुने जा रहा था.बिलकुल एक अजानकार की तरह.मेरा ज्ञान वेब प्रकाशन की दुनिया वाले मुद्दे तक सिमटा था.जो वे पढ़ चुके मैं उन्ही रास्तों पर अब अनुगमन पर था.

बैटन के बीच हमने डॉ. सत्य नारायण व्यास के ब्लॉग से उनकी कुछ कविताओं के ऑडियो भी सुने.आगामी चार मार्च शाम तीन बजे हमारे नगर के इन्हीं हिन्दी लेखक डॉ. सत्यनारायण व्यास का एकल काव्य पाठ आयोजित करना तय हुआ.राजेन्द्र भैया ने बताया की कभी यही सत्य नारायण व्यास अखिल भारती साहित्य परिषद् चित्तौड़ के अध्यक्ष भी रहे हैं.जो अभी कुछ हद तक कामरेड नज़र आते हैं.स्थान और बाकी जानकारी जल्दी ही साझा करने की बात भी तय हुई.खासकर उनकी सेवानिवृति के बाद की रचित कविताओं के बारें में  मैंने बताया.कुछ बातें पक्की हुई कि इसी अवसर पर उनके पूर्व प्रकाशित कविता संग्रह पर डॉ. राजेंद्र सिंघवी समीक्षा पाठ करेंगे.दूजे साथी डॉ. कनक जैन उनके साथ के अब तक के जुड़ाव पर दृष्टिपात करेंगे.इस मौके पर उनकी बेटी डॉ. रेणु व्यास भी अपनी बात कहेगी.हमारे हमविचार साथियों के बीच चर्चा है का  इस तरह का आयोजन बहुत लम्बे समय होने जा रहा था.

फोन पर ही व्यास जी से तारीख और जयप्रकाश दशोरा भैया से स्थान की हामी भरा ली.हम सभी बहुत उत्सुक थे इस आयोजन को लेकर,जिसे भी कहा सभी ने बहुत ज़रूरी आयोजन की तरह आने की हामी भरी.फिर बातें हुई बेनर की.हमने पल्लव के निर्देशन में बनी संस्था 'संभावना' को अंतिम मान कर कनक भैया ने आमंत्रण पत्र का खाका बनाना स्वीकारा.
 
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