आकाशवाणी के हाल
के चित्तौड़
में हुए
कवि सम्मलेन
में सभी
कवियों में
से मैं
जिन्हें जानता
हूँ उन्होंने
अपनी दस
बारह साल
पुरानी रचनाएं
ही सुनाए.
गज़ब इस
बीच क्या
कुछ लिखा
नहीं गया.या कि
फिर नए
रचनाएं सुनाना
पाप है.यही विचार
हमारे साथी
डॉ. कनक
जैन के
साथ भी
बातों में
निकला.कुछ
कवि औसत
दर्जे के
लगे.छ; का सम्मलेन सवा छ: बजे शुरू हुआ.बड़े बड़े कवियों के बीच नयो को भी बुलाया/चलाया.इकराम राजस्थानी और नरेन्द्र मिश्र को सोचकर गया,निराशा हाथ लगी.आखिर वे आए नहीं.कुछ लोगों को मैं समय रहते सुन लेना चाहता था.पहले भी मेरे साथ चोट हो चुकी है.पंडित भीमसेन जोशी चल बसे थे और मैं उन्हें सजीव नहीं सुन सका.
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» 10-02-2012